Tuesday, September 20, 2011

आदमी की नैचर पूर्व निश्चित होती है । वह क्‍या बनेगा, क्‍या पसन्‍द करेगा, कैसे रहेगा, कैसे जीएगा । कितने अच्‍छे कर्म करेगा कितने बुरे सब पहले से ही निश्चित है । बच्‍चों की नैचर ईश्‍वर ने पहले से ही बना दी है । आदमी के कर्म निश्चित हैं । जब हम यह मान लेते हैं कि वह हो रहा है जो निश्चित है और जो होगा वह भी निश्चित है और हम इस तथ्‍य को स्‍वीकार भी करते हैं तो अपने भीतर एक क्रांतिकारी परिवर्तन देख सकते हैं । जीवन के नियम निश्चित होते हैं, भले ही वे नियम हमें अच्‍छे लगें या बुरे । किन्‍तु स्‍वीकार का भाव रखना या न रखना ही हमें सुख या दुख देता है ।

ईश्‍वर के नियम निश्चित हैं । जो होना है, वह होकर रहेगा । आपके भाग्‍य में जो लिखा है वह होकर रहेगा । आदमी तो सिर्फ कोशिश करता है, इच्‍छा रखता है लेकिन वह कोशिश पूरी होगी या नहीं, वह इच्‍छा पूरी होगी या नहीं यह सब निश्चित है । अच्‍छा होगा यदि हम अपने भीतर स्‍वीकार का भाव लेकर जीएं ।