Wednesday, April 18, 2012

हम विश्‍व के सबसे अधिक प्रसन्‍न व्‍यक्ति है । हम में किसी चीज की कमी नहीं है । हम प्रत्‍येक क्षेत्र में सफलता पा सकते हैं, यदि वास्‍तव में चाहते हों । इधर हमारी चाहत बनी, उधर हम सफल हुए । खो जाना है । सब स्‍वीकार करना है । निर्विचार । आलोचना और टोकना छोड दीजिए । जो हो रहा है, ठीक हो रहा है । हंसना रोना, गाना, खाना पीना, सुख दुख सब स्‍वीकार कर लीजिए । वर्तमान को देखकर जिया जाए तो दुख पर विजय है – यही संन्‍यास है । यहीं विजय है्, यही आनन्‍द है , यही सुख है । बीते समय की बार बार चर्चा करना अथवा भविष्‍य के बारे में योजनाएं ही बनाते रहना, दुखों का कारण है । अगरक आज के क्षणों को सुन्‍दर से सुन्‍दर बिताया जहाएगा, कल भी अच्‍छा होगा । सबको खुशियां बांटो, खुशियां हमारे जीवन में उसी रफतार से लौटकर आ जाएंगी ।

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