Monday, November 7, 2011

अपने को बिजी रखें - सुखी रहेंगे

अक्‍सर जब हम बहुत व्‍यस्‍त होते हैं तो दुखी हो जाते हैं और कहते हैं यह भी कोई जिन्‍दगी है । रात दिन मेहनत करो, कार्यालय के काम, बच्‍चों के प्रति जिम्‍मेवारी के काम, पत्‍नी व रिश्‍तेदारों के प्रति जिम्‍मेवारी, समाज के प्रति जिम्‍मेवारी यानि सारे दिन में इतने काम कि हम थक जाते हैं और कहते हैं यह भी कोई जिन्‍दगी है । लेकिन अपने अनुभव से एक सुझाव देना चाहूंगा - आप बहुत सुखी हैं कि आप बिजी हैं । जो लोग अपने को बिजी रखते हैं वे भाग्‍यशाली है । यदि आपको तीन दिन तक एक जगह बिठा दिया जाए और कहा जाए कि आपको कोई काम नहीं करना है, बस एक जगह एक कमरे में बैठे रहना है, केवल आराम करना है तो आप सहन नहीं कर पायेंगे । बैचेन हो जाएंगे । किसी ने सच ही कहा है यदि किसी को सजा देनी हो तो उसे खाली बिठा दो । यदि आपको मेरी बात पर विश्‍वास नहीं है तो इस प्रयोग को कर के देख लें और तब अपने अनुभव बताना । इसलिए कहता हूं यदि आप अपने को बिजी रखते हैं तो सुखी हैं । हां जरुरत इस बात की है कि अपनी क्षमता के अनुसार काम करें । काम को सहजता सरलता से करने का प्रयास करें । यदि थक गये हैं तो थोडा आराम कर लें । काम को ईश्‍वर का आदेश समझ कर करें तो जिन्‍दगी देखने का दूसरा ही नजरिया पायेंगे ।

Tuesday, September 20, 2011

आदमी की नैचर पूर्व निश्चित होती है । वह क्‍या बनेगा, क्‍या पसन्‍द करेगा, कैसे रहेगा, कैसे जीएगा । कितने अच्‍छे कर्म करेगा कितने बुरे सब पहले से ही निश्चित है । बच्‍चों की नैचर ईश्‍वर ने पहले से ही बना दी है । आदमी के कर्म निश्चित हैं । जब हम यह मान लेते हैं कि वह हो रहा है जो निश्चित है और जो होगा वह भी निश्चित है और हम इस तथ्‍य को स्‍वीकार भी करते हैं तो अपने भीतर एक क्रांतिकारी परिवर्तन देख सकते हैं । जीवन के नियम निश्चित होते हैं, भले ही वे नियम हमें अच्‍छे लगें या बुरे । किन्‍तु स्‍वीकार का भाव रखना या न रखना ही हमें सुख या दुख देता है ।

ईश्‍वर के नियम निश्चित हैं । जो होना है, वह होकर रहेगा । आपके भाग्‍य में जो लिखा है वह होकर रहेगा । आदमी तो सिर्फ कोशिश करता है, इच्‍छा रखता है लेकिन वह कोशिश पूरी होगी या नहीं, वह इच्‍छा पूरी होगी या नहीं यह सब निश्चित है । अच्‍छा होगा यदि हम अपने भीतर स्‍वीकार का भाव लेकर जीएं ।

Friday, August 5, 2011

Thursday, July 28, 2011

अक्‍सर देखा गया है कि जब आपको किसी अपने प्रियजन पर गुस्‍सा आता है तो आप भी तुरन्‍त गुससे से भर जाते हैं और अपने उस प्रियजन के प्रति आपको नफरत होने लगती है । यह ठीक नहीं है । यदि दूसरा आप पर गुस्‍सा करता है और आप भी उस पर उसी समय गुस्‍सा करने लगते हैं तो आपमें और उसमें क्‍या अन्‍तर रहा ? एक उपाय है । जब आपके प्रियजन पर आपको गुस्‍सा आए तो समझने का प्रयास करें कि आज सामने वाले का गुस्‍सा करना वाजिब है । आप उसे गुस्‍सा करने दें और अपने गुस्‍से पर नियंत्रण रखें । दूसरा व्‍यक्ति कितनी देर गुस्‍सा करेंगा । शायद पांच मिनट या ज्‍यादा से ज्‍यादा 30 मिनट । उसका गुस्‍सा जल्‍दी ही ठण्‍डा हो जाएगा । तब आपको झगडा करने की कोई जरुरत महसूस नहीं होगी । मेरी बात मानना आसान नहीं है । लेकिन प्रयास करोगे तो सफल भी जरुर होगे । हां एक दो बार हो सकता है सफलता न भी मिले । लेकिन बार बार प्रयास करेंगे तो सफलता अवश्‍य मिलेगी । यदि प्रयास नहीं किया, संकल्‍प नहीं किया तो रिजल्‍ट वही होगा जो हर बार होता है । आप अपने विचार बताएं ।

Thursday, July 21, 2011

अक्‍सर देखा गया है कि आज के तेजी से चलते समय में तनाव जीवन का एक अंग बन गया है । ऐसे में भाई भाई के रिश्‍ते भी कमजोर होते देखे जा रहे हैं । हर कोई अपने को पाक दिल और दूसरे को झूठा साबित करने में लगा हुआ है । जबकि वास्‍तविकता तो यह है कि हम सब झूठे हैं और अपने आसपास की नेगेटिव एनर्जी से इतना प्रभावित हो जाते हैं कि अपने करीबी रिश्‍तों को भी भूल जाते है। यह ठीक नहीं है । जो भाई भाई विवाह से पहले एक दूसरे पर पूरा विश्‍वास रखते हैं और अपने संबंधों को मजबूत बनाए रखते हैं वे शादी के बाद बदल जाते है और रिश्‍तों को कमजोर कर देते है। । मै। यह नहीं कहता कि यह सब पत्‍नी के आने के बाद ही ऐसा होता है । पत्‍नी दूसरे घर से आती है वह अपनी सोच रखती है । हो सकता है वह गलत हो, हो सकता है वह ठीक हो । मुददा यह नहीं है । मुददा है रिश्‍ता निभाने में आप कमजोर है तो रिश्‍ता ज्‍यादा देर तक नहीं टिक पायेगा । बाकी तो सब बहाने हैं । यदि आप मजबूत है और अपने इरादे के पक्‍के हैं तो कोई भी ताकत आपको तोड नहीं सकती । इस पर विचार करें और अपने खूनी रिश्‍तों को पहचानें और अपना कर्तव्‍य निभाते हुए पाजिटिव सोचे, भला सोचे । ईश्‍वर आपका भला भी करेगा ।

जब हमारा किसी से कोई वाद विवाद होता है या झगडा होता है तो हम अक्‍सर बहुत घबरा जाते हैं । कभी कभी तो तबीयत खराब होने लगती है । तब सोचते है मैंने ऐसा तो सोचा भी न था ?लेकिन घबराए नहीं । यह कष्‍ट का समय भी ज्‍यादा देर तक नहीं रहेगा । जल्‍दी ही सब ठीक हो जाता है । बस यह मानकर चलें कि यह कष्‍ट तो आना ही था, आया है और जल्‍दी ही चला भी जाएगा । बस थोडा सा इंतजार करना होगा । सब ठीक हो जाएगा । अपनी तबीयत खराब करने की कोई जरुरत नहीं है । ध्‍यान रहे समय बदलता रहता है । समय के साथ साथ हमें भी अपने को बदल लेना चाहिए । हां इस बात का ध्‍यान जरुर रखें कि 24 घंटे बाद अवश्‍य सोचे कि यह जो कष्‍ट आया था उसके लिए कहीं मैं दोषी तो नहीं था ?

मैंने देखा है कि कुछ मध्‍यम वर्ग के लोग आजकल शेयर बाजार में पैसा लगाकर रातो रात अमीर होने का ख्‍वाब देखने लगे हैं । सच में ये ख्‍वाब ही होता है और सच्‍चाई यह है कि उनके पास जो पैसा होता है वह भी बबार्द हो जाता है यानि लुट जाता है । जरा सोचिए रातो रात कोई कैसे अमीर हो सकता है । शेयर मार्केट एक जुआ है । और जुआ आजतक किसी का न हुआ । इस शेयर मार्केट में निवेश की तरह पैसा लगाना बुरा नहीं है । यदि आपने आज पैसा लगाया है और तीन चार साल का नजरिया लेकर चलते हैं और अच्‍छे रिर्टन की उम्‍मीद करते हैं तो बात समझ में आती है । लेकिन इन्‍ट्रा डे खेलकर या फयूचर आपशन, पुट,लॉग आदि में पैसा लगाने से हो सकता है चार पाच दिन आप कुछ कमा लें लेकिन याद रखें छठे दिन आप अपना सब कुछ गंवा भी सकते है । इसलिए मेरी सलाह है कि नौकरीपेशा, मध्‍यमवर्गीय लोग अपना पैसा सुरक्षित बैंक में रखें न कि शेयर मार्केट में ।
यदि आप मेरे विचार से सहमत है तो अपने विचार भेजें ।
बुर्जर्गों को चाहिए कि वे अपने बच्‍चों पर सौ प्रतिशत भरोसा न करें । मेरी बात को ध्‍यान से समझें । आप अपने बच्‍चों को सम्‍मान दे उन्‍हें अपना प्‍यार दें लेकिन पैसे के मामले में अपना हाथ जरा खींच कर रखें । अक्‍सर देखा गया है कि आज कल की संतान पैसे के लिए अपने बुजुर्ग मां बाप को अपमानित करने लगते हैं । मां बाप की दौलत पर अपना अधिकार जमाने के लिए नये नये हथकंडे अपनाते हैं । और जब मां बाप की दौलत हाथ में आ जाती है तो मां बाप को दूध में पडी मक्‍खी तरह फैंक देते है। । और बुजुर्ग मां बाप बुढापे में रोते तडपते अपनी बची हुई जिन्‍दगी एक एक दाने को तरसते हुए जीते हैं । अत यह जरुरी है कि बूढे मां बाप अपने जीते जी अपनी सम्‍पत्ति का बंटवारा न करें । चाहे आपके बच्‍चे कितने की अच्‍छे क्‍यों न हो । आपके जीवन त्‍यागने के बाद आपका सारा पैसा आपके बच्‍चों का ही तो है तब जल्‍दी क्‍यों ? सब्र से काम लें और अपना बुढापा शांति से काटे । जब तक आपके नाम सम्‍पत्ति है आपके बच्‍चे आपका जीवनपर्यन्‍त ख्‍याल रखेंगे । किसी आपने अपने जीते जी अपनी सम्‍पत्ति का बंटवारा कर दिया तो समझ लें आपने अपने बुढापे को तकलीफ भरा जीने के लिए मजबूर कर दिया है । फैसला आपके हाथ में है ।

यदि आप अपने बुजुर्ग लोगों का सम्‍मान नहीं करते हैं और उनका ख्‍याल नहीं रखते है तो वह दिन दूर नहीं जब आप बूढे हो जाएंगे तो आपके बच्‍चे भी आपका ख्‍याल नहीं रखेंगे । इसलिए जरुरी है कि आज से ही अपने बुजुर्ग मां बाप का ख्‍याल रखना शुरु कर दें । उन्‍हे आपकी दौलत नहीं चाहिए उन्‍हें आपका स्‍नेह चाहिए, आपका कुछ वक्‍त चाहिए ताकि वे अपना दुख दर्द आपके साथ बांट सकें । हो सकता है उनके विचार उनके अनुभव से आपको कोई सीख मिल जाए । आप भले ही कितने अमीर क्‍यों न हो जाएं लेकिन माता पिता और बुजुर्गों के आशीर्वाद के जीवन में सही मायने में सफलता नहीं हासिल कर सकते ।

Thursday, March 10, 2011


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