हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमारी प्रत्येक सफलता या असफलता के पीछे वास्तविक हकदार हम ही हैं । शायद यह बात प्रत्यक्ष में पता न लगे कि दोष या धन्यावाद किसका है, लेकिन ध्यान से गौर करने पर पता चलता है कि कहीं न कहीं शुरुआत या अंत हमने ही किया था । यदि किसी के प्रति अथवा हमारे प्रति कोई चाहत रखता है तो उसकी सफलता का श्रेय अपने को ही देना चाहिए । यदि कोई हमसे नफरत करता है तो इस असफलता के दोषी भी हम ही हैं । हम में ही कोई कमी घर बनाए हुए है जिसके कारण सामने वाला हमसे नफरत करता है अथवा गुस्सा करता है । इस बात को ध्यान से समझना होगा ।
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