Wednesday, April 18, 2012

यदि हम चाहें तो अच्‍छा जीवन जी सकते हैं । साफ सुथरा रहना, तमीजदार व शिक्षित होना । यह सब अपने बस में है । शरीर को योग व ध्‍यान द्वारा सुडौल व स्‍वस्‍थ बनाया जा सकता है । जरुरत है संकल्‍प की । अपने प्रति एक उत्‍साह बनाए रखना जरुरी है वरना बोझिल मन से कुछ भी कर पाना सम्‍भव नहीं । जितना हमारा वेतन है, उसमें हमारा गुजारा हो सकता है । अपने भागते मन को समझाना होगा । उन चीजों के लिए जो जरुरी नहीं हैं । एक एक रुपया खोजपूर्ण अर्थात सोच समझकर खर्च करना चाहिए और इसके साथ ही ज्‍यादा कमाई के लिए कोशिश आरम्‍भ कर देनी चाहिए । हम देखते हैं कि हमारे ज्‍यादात्‍तर खर्चे लापरवाही से होते हैं । वास्‍तविक खुशी तो हमारे भीतर हैं । खुशी की शुरुआत अपने अन्‍दर से ही शुरु होती है और समाप्ति भी अपने अन्‍दर से ही होती है ।

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