युवकों में विवाह के प्रति एक डर की भावना के पीछे कुछ कारण है । युवकों का विवाह के प्रति इंकार करने का कारण उनकी वैवाहिक जीवन के प्रति जानकारी की कमी का होना है । अर्थात हम लोग आरम्भ ही इस शब्द से करते हैं कि वे दोनों विवाह के बंधन में बंध गए । जब तक विवाह को बंधन माना जाता रहेगा, युवकों का विवाह के प्रति अरुचि बढती जाएगी । विवाह जरुरी भी नहीं है । यदि एक युवक के पास कमाई के इतने साधन नहीं हैं कि वह एक भावी परिवार को पाल सके, उसे विवाह करने का अधिकार नहीं होना चाहिए । क्या यह सच नहीं है कि आज के युग में आर्थिक रुप से बुरी तरह पिछडे दम्पत्ति अपने पीछे छोड जाता है एक असहाय परिवार । क्या विवाह उनके लिए भी जरुरी है जो अपाहिज या मानसिक रुप से बीमार है ।
****
इतना ताे स्पष्ट है िक संसारिक दौड में कुछ भी नहीं धरा है । क्षणिक सुख के पीछे दुख ही दुख । ध्यान करना बेहद जरुरी है, मन को शांति रखने के लिए ध्यान में खोना आवश्यक है ।
****
लडकों की अपेक्षा लडकियों में अधिक सरलता,संयम देखने को मिलता है । हां, अपवाद हो सकते हैं, लेकिन ज्यादात्तर लडकियों में समझ् ज्यादा होती है । एक बात और, लडकियां बीती हुई बातों को अक्सर याद रखती हैं जबकि अधिकत्तर लडके भूल जाते हैं । ****
बात को शोर्ट में करना ही बेहतर है । शोर्ट में ही समझना ठीक है । आंखे इधर उधर मटकाकर देखना, अशांति की निशानी है । अपनी आंखे नम होनी चाहिए । केवल अपने उददेश्य को मध्यनजर रखना चाहिए, बाकी के सभी कार्य बेकार हैं । उददेश्य की पूर्ति के लिए पूरी तरह समर्पित होना जरुरी है । हम अपनी शक्तियों को इधर उधर बांट देते हैं, जो ठीक नहीं है । ****
एक विद्वान ने कहा है कि धन को हाथ में रखो, दिल में नहीं ।
चिन्ता करने से कुछ न होगा । दबाना नहीं चाहिए, देखना चाहिए, जानना चाहिए और समझना चाहिए । दबाने से कोई हल न होगा, हां, समझ्ने से हल होगा । ****
हम डाक्टर हैं तो अच्छे हैं, वकील हैं तो भी अच्छे हैं, क्लर्क हैं तो भी अच्छे हैं । यह समझकर कि दूसरे बुरे हैं । हम डाक्टर हैं और खुश हैं, क्यों हम धन भी कमा रहे हैं और सेवा भी कर रहे हैं । वकील से तो अच्छे हैं झूठ तो नहीं बोलना पडता, सिर खपाई तो नहीं करनी पडती । और अगर वकील हैं तो भी अच्छे हैं । मजे में हैं । थोडा सा बोलकर, थोडा सा तर्क, थोडा सा झूठ खूब कमा तो रहे हैं । डाक्टर की भी कोई जिन्दगी है न दिन का आराम, न रात का चैन, डाक्टर तो अपनी पत्नी के लिए समय निकालना मुश्किल हो जाता है, आप वकील हैं, अच्छे है, रात को आराम से सोते तो हैं । यानि जीवन जैसा है, सुन्दर है। जीवन को स्वीकार भाव से जीना चाहिए ।
****
हमें इस बात को स्वीकार करना ही होगा कि असंतोष भी एक अनिवार्य शर्त है जीवन में । इस असंतोष को स्वीकार करने के लिए हमें संतोष रखना होगा ।
****
एक मन है और एक मन के नीचे । ज्यादात्तर लोग मन को ही सब कुछ समझ बैठते हैं । लेकिन देखना है कि आप और हम मन के गुंलाम हैं या मन हमारा गुलाम है । यदि मन हमारा गुलाम है तो ठीक है और यदि हम मन के गुलाम हैं तो गडबड है ।
****
हम लोग जरुरत से ज्यादा आशा रखते हैं । फलां हमें बहुत चाहता है, बहुत प्यार करता है । हम लोग तो यह भी सोचते हैं कि फलां हमें नमस्ते करेगा, चाय पानी पूछेगा । और जब दूसरा नमस्ते नहीं कर पाता अथवा चाय पानी नहीं पूछता, तो हमें गुस्सा आ जाता है, हम नाराज होने लगते हैं । क्यों ? पूछना होगा अपने आप से । जानना होगा कि क्यों गुस्सा आता है । कोई कारण नहीं सिवाए अंहकार के । हम लोग अपने अंहकार की पूर्ति पाते हैं जब कोई हमारी प्रशंसा करता है । हमें लगता है कि फलां फलां हमारा अनुयायी है, हमसे जूनियर है । तभी तो आकर नमस्ते की, हमें चाय पानी पूछा, वह हमें चाहता है, उसे हमारी जरुरत है, हमारे अंहकार की पूर्ति होती है ।
लोग अपने को दूसरों की निगाहों में आकर्षित करने के लिए तरह तरह के तरीके अपनाते हैं । कोई सुन्दर जूते पहनता है तो कोई झूठी कहानियां सुनाकर अपनी शान दिखाता है
। बस, हमारा नाम हो, लोग हमारे प्रशंसक बन जाएं । यदि वे अपने काम में सफल नहीं हो पाते तो उन्हें शीघ्र गुस्सा आ जाता है, उन्हें लगता है जैसे उनका उपहास उडा दिया है, उनका अपमान हो रहा है ।
****
रुपयों से सोने का बिस्तरा तो खरीदा जा सकता है लेकिन नींद नहीं । नींद तो हमें अपने अन्दर से ही पैदा करनी होगी । यह रुपयों से नहीं खरीदी जा सकती, रुपया तो एक मात्र साधन है । महत्वपूर्ण और उपयोगी है साध्य तो अपने अन्दर से खोजना होता है ।
***
स्मरणशक्ति का तीवग्र होना बहुत जरुरी है । इसका जहां अपने को तो लाभ होता ही है, दूसरे पर भी अच्छा प्रभाव पडता है । हम किसी से मुलाकात करते हैं । दूसरी मुलाकात में यदि उसका नाम और अन्य जानकारी याद रखते हैं तो वह दूसरा बहुत प्रसन्न होता है । योग्य व्यक्तियों के बारे में जानकरी और सम्पर्क रखते रहना चाहिए । हमें स्वयं अच्छा लगेगा और जिसके परिणाम भी सुन्दर होंगे । ***
हम अपने विचारों को किसी पर लाद नहीं सकते । जरुरी नहीं है कि दूसरा हमारी बात को माने, हमारे विचारों से सहमत हो, हम तो केवल अपने विचार जाहिर कर सकते हैं । मानना या न मानना दूसरे का निजी विचार होगा । दूसरों के पर्सनल मामलों में दखल नहीं करना चाहिए ।
****
हम में से ज्यादातर लोग अपनी शक्ति को वेवजह नष्ट का देते हैं । यदि हम उन शक्तियों को खर्च करने के बजाय एकत्रित कर लें तो उसका उपयोग अच्छे कार्यों में कर सकते हैं । पढाई की ओर ऊर्जा को लगाकर रचनात्मक बना जा सकता है ।
No comments:
Post a Comment