Saturday, July 31, 2010

मां अपने बेटे का विवाह बहुत चाह और खुशियों से करती है, यह जानकर भी कि मेरा बेटा अपनी पत्‍नी से प्रेम करेगा । यही कारण है कि मां बेटे के प्रेम में दूरी बढ जाती है । मां भूल जाती है कि यह प्रेम की धारा आगे बढेगी । लेकिन मां का सोचना है – बेटा विवाह के बाद बदल गया है । लेकिन स्‍वाभाविक प्रक्रिया को तो समझना होगा । अपनी निगाहें पीछे उठाकर देखेंगे तो पायेंगे कि हमारे पिता के समय भी यह सवाल उठा था । लेकिन मां की ममता इस सत्‍य को स्‍वीकार करने को तैयार नहीं ।

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स्‍वाभिमान क्‍या है ? इसको ठीक से समझने के लिए कोई निश्चित मापदण्‍ड तो है नहीं । स्‍वाभिमान का अर्थ कहीं हमारा परोक्ष अंहकार तो नहीं । मैं मानता हूं कि हर व्‍यक्ति में स्‍वाभिमान होता है, होना भी चाहिए, लेकिन एक बात जरुर है, स्‍वाभिमान केवल अपने तक सीमित होता है । वह दूसरे से जुडा हुआ नहीं होता । कोई हमारे स्‍वाभिमान को डिगा नहीं सकता । स्‍वाभिमान पर चोट तभी पडती है जब हमारा स्‍वाभिमान कमजोर होता है अथवा हम उसे चोट पहुंचाने वाले काम करने लगते हैं । मैं शराब नहीं पीता हूं, कोई कहे – शराब पीओ । मैं मना कर देता हूं । तब वह मुझे जबरदस्‍ती बलपूर्वक शराब पिलाता है । ऐसे में मेरे स्‍वाभिमान पर चोट पहुंचेगी । यदि मेरा स्‍वाभिमान कमजोर हुआ तो मैं उसके कहने पर शराब पीनेू लग जाऊंगा और यदि मैंने उसके बलपूर्वक कहने पर भी शराब नहीं पी तो समझ सकता हूं कि मेरा स्‍वाभिमान मजबूत है । हर व्‍यक्ति अपने बीच स्‍वाभिमान की भावना रखता है । अगर आपको कोई ऐसा काम कहा जाता है जो आपकी अंतर्रात्‍मा के विरुद्व है तो समझना कि आपके स्‍वाभिमान पर चोट की जा रही है । उसे बचाना है या नहीं, तुम पर निर्भर है । लेकिन यह मत सोचिए कि फलां फलां जगह मेरा इतना सम्‍मान होता है, अमुक अमुक बात होन पर मेरे स्‍वाभिमान पर चोट पहुंचती है ।
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हर व्‍यक्ति के अन्‍दर छिपा है एक प्रभावशाली व्‍यक्त्वि । उसे निखारना चाहिए । अपने बीच एक योग्‍यता होनी चाहिए कि दूसरा आपकी बात को समझ सके । मात्र बुरा मानने से, नाराज होने से, नफरत करने से, नुकसान पहुंचाने से कुछ भी न होगा । बात करना तो सभी जानते हैं लेकिन किस समय कैसी बात करनी चाहिए, यह बहुत कम लोग जानते हैं । अपने व्‍यक्त्वि को वास्‍तविक रुप देना ही श्रेष्‍ठ है ।
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लडकियों में ज्‍यादा सहनशीलता होती है । उनके चेहरे पर एक सादगी की लालट देखने को मिल जाती है जो लडके के चेहरे पर कम ही होती है । इसके अलावा लडकियां उन लडकों को ज्‍यादा पसन्‍द करती हैं जो बहुत ही सौम्‍य, शांत एवं आदरसूचक पेश आता हो । लडकियां नहीं चाहती कि लडकों में कोई उथल पुथल जैसी भावना हो, सरल और शिष्‍टाचार जैसे गुण रखनेवालों को ही महत्‍व देती हैं ।
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पिछले दिनों मैंने वैवाहिक जीवन एवं व्‍यक्ति की नैचर पर चर्चा की । मैंने पाया कि ज्‍यादातर लोग हताश हुए पडे हैं । चेहरे पर मुस्‍कराहट और अन्‍दर पीडा । सभी पीडित हैं इस दौड में । लेकिन दौड रहे है। मैंने पूछा – क्‍यों ? तो उनका कहना था – यह सब सोचने का समय ही कहां है । मैंने यह भी अनुभव किया है कि व्‍यक्ति के बीच समझ की कमी है । एक बार समझ का विकास होने गे तो जीवन में आनन्‍द आने लगता है ।
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हर आदमी को पता चल जाता है कि उसके बीच क्‍या क्‍या कमजोरी है । यदि उन कमियों को दूर करने के लिए भरसक प्रयत्‍न किए जाएं तो सम्‍भव है कि जल्‍दी ही अच्‍छा समय आ जाए । अक्‍सर लोग विवाह के प्रति सशंकित रहते हैं कि विवाह के बाद क्‍लह होते हैं । पति पत्‍नी के विचारों में एकरुपता न होने की वजह से दोनों अपने अपने अधिकारों के लिए लडते ही रहते हैं और कर्तव्‍यों को भूल जाते हैं लेकिन यदि आपस में भरपूर प्रेम दिया जाए तो झगडों को मिटाया जा सकता है ।

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हमारे मनोभाव भी अजीब हैं । हमेशा रंग बदलते रहते हैं । कभी अच्‍छे तो कभी बुरे । कई बार हम ऐसे ऐसे छपे विचार पढ लेते हैं जो वास्‍तविकता के धरातल पर सम्‍भव से प्रतीत नहीं होते । जो है उसे स्‍वीकार क्‍यों नहीं करता है व्‍यक्ति ? हर व्‍यक्ति में अवगुण हैं, इसको स्‍वीकार करना ही होगा ।अगर गुण की आशा रखकर स्‍वयं अवगुण की ओर बढ जाना है तो यह केवल पागलपन है । जिनमें आत्‍मविश्‍वास की कमी होती है, वे ही दिग्‍भ्रमित होते हैं । ऐसे में उसे भटकने से कोई नहीं बचा सकता । हां, केवल एक संकेत दिया जा सकता है, एक इशारा किया जा सकता है । रुको । आगे खतरा है । ऐसे में यदि बढनेवाला रुक जाए तो ठीक वरना वह अंधेरे में भटक ही जाएगा । कोई किसी को रोक नहीं सकता ।

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कई बार हमारे बीच विचारों की आंधी चलने लगती है । कई बार हम अपने को बहुत अच्‍छा और सफल व्‍यक्त्वि समझने लगते हैं और कभी कभी इसके विपरीत । जैसे कोई गरीब सपने में बैठा बैठा अपने को राजा समझ बैठा हो और नींद खुलते ही पुन अपने को भिखारी समझ बैठा हो ।

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हर व्‍यक्ति में कमियां हैं, आपमें में भी हैं, मुझमें में भी है लेकिन हम मानते नहीं हैं । अपने बीच कई कमियां हैं, लेकिन अंहकार है कि यह बात मानने को तैयार नहीं । यदि गहराई से विचार करेंगे तो पायेंगे आप उतने सफल और प्रसन्‍न नहीं हैं जिस हिसाब से आप समझते हैं ।
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