सुख और प्रेम तभी मिलता है जब हम देने का भाव रखते हैं । केवल लेने की इच्छा
हमें दुख देती हैं । हम उम्मीद करे कि दूसरा हमें सुख दे, हमारी बात माने और
हमारी सोच के अनुसार काम करे, यह सब सम्भव नहीं होता । हम दूसरों को अपनी सोच और
समझ के अनुसार नहीं ढाल सकते । हां ये हो सकता है कि हम दूसरे की सोच और समझ को
देखकर व्यवहार करें । तब सुख और प्रेम खुद आ खडा होता है, मांगना नहीं पडता । इसके
विपरीत लेने की भावना दुख देती है । संबंध चाहे पति पत्नी का हो या भाई बहन का या
कोई और ।
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