Friday, August 22, 2014

हर व्‍यक्ति में कई गुण होते हैं, अच्‍छे रुप होते हैं, अच्‍छी समझ होती है । लेकिन हमें ध्‍यान रखना चाहिए कि हर व्‍यक्ति में अवगुण भी होते हैं, समझ की कमी भी होती है । अब देखना यह है कि हम अपने बीच कितना सुन्‍दर रुप देख पाते हैं ? हर कोई गलती भी करता है और हर कोई पश्‍चाताप भी । तभी तो कहते हैं हर व्‍यक्ति के अन्‍दर एक सॉफट कार्नर होता है, जो भावनामय है ।
**** आज हमारा समाज प्रगति के पथ पर बढता जा रहा है । समाज में जीवन जीने की शैली बदल रही है, लेकिन जयशंकर प्रसाद की अबला वहीं की वहीं है । उसकी जिम्‍मेदारी व कर्तव्‍य में जरुर परिवर्तन आये हैं किन्‍तु उसके प्रति असहनीय बोल प्रताडना व अत्‍याचार जस के तस हैं । विवाह से पहले मां बाप के संरक्षण में स्‍वावलम्‍बी लडकी के जीवन में अवश्‍य मूलभूत परिवर्तन दिखते हैं । वह जब विवाह के बाद अपने ससुराल पहुंचती है तब उसकी स्थिति वे पर पानी की बूंदों की भांति थिरकती है – कभी ससुराल वालो के दबाव में और कभी पति के दबाव में । मन मुटाव, विचारों का अनमेल होना, स्‍वभावच की विचित्रिता तो चलती है किन्‍तु प्रताडना व दुर्व्‍यवहार की कद से पार सीमा की स्थिति में क्‍या किया जाए ? अब सवाल यह है कि परिवार में सास ससुर, ननद देवर का व्‍यवहार नववधु के प्रति कटुता या व्‍यंग्‍यपूर्ण हो तो ऐसी स्थिति में क्‍लह तो होगा ही । किन्‍तु माना जाता है कि पति की समझदारी, सूझबूझ, आपसी समझौते की भावना आदि ऐसे रास्‍ते हैं जिनसे समस्‍यों का समाधान हो सकता है । किन्‍तु उसके बावजूद भी स्थिति गम्‍भीर हो जाती है तो पति पत्‍नी अलग रहकर अपनी डगमगाती जिन्‍दगी को संवार लेते हैं और बाद में थोडे समय बाद थोडे बहुत संशय के मध्‍य दुबारा से लडकी का ससुराल में आना जाना शुरु हो जाता है । किन्‍तु कई बार लडकी की किस्‍मत का पास बहुत ही उलटा हो जाता है । सुसराल के सभी सदस्‍यों के साथ साथ पति भी उनके साथ मिल जाता है । वह सात फेरों और कस्‍मे वादे भूलकर यही आदेश देने लगे – जो मेरी मां कहती है वह ठीक है और बाकी सब गलत । तब लडकी अजीब संशय में डूब जाती है । बात बात में मेरी मां, मेरी बहन, मेरे पिता कहकर अपनी पत्‍नी का अपमान करते रहने से लडकी के मन में एक किनकर्तव्‍यविमुढ की स्थिति बन जाती है । लडका अपने कर्तव्‍यों से दूर होकर मस्‍त हो जाता है । ऐसे में परिवार और विवाहित जीवन में तनाव और क्‍लेश आ जाता है । ऐसे में मासूम बच्‍चे की स्थिति का अंदाज नहीं लगाया जा सकता । नौकरी और घर की की दौड में वह भला अपने बच्‍चे की क्‍या देखभाल करेगी ? ऐसे में परिवार के लोग उस मासूम की क्‍या देखभाल करेंगे ? यदि पति भी अपने बच्‍चे के लिए अपने कर्तव्‍यों के प्रति बेरुख हो जाए तो वह स्‍त्री क्‍या करे ? कहां जाए ? क्‍या यूं ही जिन्‍दगी को तनाव और क्‍लेश के वातावरण में सहती रहे ? क्‍या वह आत्‍महत्‍या कर लें ?

क्‍या आपके आप इस समस्‍या का उत्‍तर है ?
मंजू की कलम से




एक दूसरे को समझने व समझाने से ही सभी समस्‍याओं का हल मिल सकता है । एक पक्ष अपने प्रभावशाली व्‍यक्तित्‍व द्वारा, एक अच्‍छे एवं प्रभावशाली तरीके से दूसरे को समझाए तो समस्‍यां का समाधान निकल सकता है । आपसकी एकता ही आपके कष्‍टों का, रुकावटों को दूर कर सकती है और आप सफलता पा सकते हैं । पति पत्‍नी के बीच एकता है तो कोई उन्‍हें तोड नहीं सकता । तोडने के लिए लोग आयेंगे । वे लोग कोई भी हो सकते है। । रिश्‍ते नाते, मित्र संबंधी । यदि अपने बीच ही सन्‍देह का भाव होगा तो जीवन की यात्रा कठिन हो जाएगी ।

****
यह कैसे हो सकता है कि कोई आपसे हंसी मजाक करे और आपके स्‍वाभिमान पर चोट हो जाए ? यह कैसे हो सकता है कि एक बात अकेले में की जाए तो गलत नहीं है और यदि वह बात दूसरों के सामने की जाए तो आपका अपमान हो जाएगा, आपके स्‍वाभिमान पर चोट हो जाएगी ? क्‍यों जोड लेते है। हम अपने को दूसरों से ? क्‍यों इतनी परवाह करते हैं दूसरों की ? छोडों इन बातों को । बस, अपने बीच प्रेमपूर्ण भावना होनी चाहिए । दूसरे क्‍या सोचते है।, बेवकूफ हैं, उन्‍हें सोचने दो । हां, एक दूसरे को समझ दे सकते है।, अपने विचार बता सकते हैं ।
आप अवश्‍य ही उन लोगों का ज्‍यादा सम्‍मान करते हैं जो अपनी बात प्रभावपूर्ण ढंग से करते हैं, लेकिन रोब नहीं जमाते, जिद नहीं करते । आपको अवश्‍य ही उन लोगों से नफरत होगी जो अपनी जिद के बल पर सबक सिखाने की कोशिश में लगे रहते हैं । स्‍वाभाविक है कि आप उन लोगों को प्रेम नहीं कर पाते, बल्कि कभी कभी तो आपके मन में भी दूसरे को सबक सिखाने की भावना उठती होगी ? जो आपके लिए त्‍याग करता है, आप उससे भी बडा त्‍याग करने के लिए तैयार रहते हैं ।
****

No comments:

Post a Comment