यदि आपको ऐसा काम दे दिया जाए जिसे करने पर आपको मुश्किल आती है तो उस काम को करने से इंकार न करना । चुपचाप उस काम को निपटा लेना । भले ही वह काम आपसे अच्छा न हुआ हो । अपने से सीनियर को प्रसन्न रखने का यह एक वाजिब तरीका है । बेकार का नाराज होने से, अपनी असमर्थता प्रकट करने से, कानाफूसी करने से केवल नुकसान ही है । पाजिटिव होने से, कम बोलने से, सीखने की भावना होने से आत्मविश्वास का जन्म होगा और तभी आपसे दूसरे खुश रहेंगे । मैं ठीक, तू भी ठीक भावना से ही चलना ठीक है । सीखने की भावना होने से और गलती होने पर गलती मानना श्रेष्ठ गुण है ।
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