Saturday, September 4, 2010

किसी से बहस मत करना । किसी को समझाने का प्रयास भी मत करना । बल्कि स्‍वयं समझने का प्रयास करना – अपने को भी और दूसरे को भी । इस मामले में किसी से उलझने की जरुरत नहीं । प्रेम और सही समय का इंतजार । किसी से नाराज भी मत होना । नाराज होने का अर्थ है अपने बीच दुखों के जीवाणुओं का प्रवेश । हर व्‍यक्ति के सोचने का अपना तरीका होता है – फ्‍रि गलत या ठीक का निर्णय हम कैसे दें ? हां, अपना निर्णय आप ही करना चाहिए, तुम्‍हारे बारे में अन्‍य लोग क्‍या सोचते हैं, वह अंतिम नहीं है । इसी प्रकार दूसरे का भी अंतिम निर्णय उसी का होता है, तुम्‍हारा नहीं । *****

1 comment:

  1. prdip bhayai aapne to shukun se jine kaa mntr aek pl men hi logon ko aasaani se sikhaa diyaa bhut khub bdhaayi ho . akhtar khan akela kota rajsthan

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