Saturday, September 4, 2010

यह एक विवाद का विषय हो सकता है कि छोटी छोटी बातों पर कितना ध्‍यान दें । कुछ लोगों की नजरों में छोटी छोटी बातों पर ध्‍यान देना महत्‍वपूर्ण होता है और कुछ के लिए गलत । क्‍या छोटी छोटी बातें ही जीवन में कटुता, विद्वेष उत्‍पन्‍न करने लगती है ? क्‍या छोटी छोटी बातें ही जीवन में सुखानुभूति देती है ? वैसे छोटी छोटी बातें अाने वाले उन पलों को जो हम अच्‍छे बिता सकते थे, यादें उन पलों को नीरस एवं दुखदायी भी बना देती है और सुखमयी भी । वैसे छोटी छोटी बातें प्रेम को भी प्रदर्शित करती हैं । न तो यह कहा जा सकता है कि छोटी छोटी बातों पर गौर करना चाहिए और न ही यह कि उन पर गौर न करो । देखना यह है कि बातों का स्‍वरुप क्‍या है ? छोटी या बडी बात का निर्धारण व्‍यक्ति की समझ पर ही निर्भर करता है । इसका कोई निश्चित मापदण्‍ड नहीं है । एक बात पर ध्‍यान देना जरुरी है कि बात छोटी हो या बडी गौर करना चाहिए । प्रतिक्रिया प्रकट करें लेकिन उसको लम्‍बाई न दें ।

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