Antaryatra
Saturday, September 4, 2010
विवाह कोई जरुरी नहीं है और बिना विवाह भी जीवन अधूरा । यदि समस्त ध्यान अपने बीच खींच लिया जाए तो जीवन से दुख दूर होता जाता है तब विवाह हो या न हो । व्यक्ति के बीच ही सुख दुख होते हैं । दूसरा दुख देता है या सुख, यह धारणा निर्मूल है
1 comment:
मनोज भारती
September 4, 2010 at 7:33 AM
व्यक्ति के बीच ही सुख दुख होते हैं । इस बात से सहमत हूँ । सटीक टिप्पणी ।
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व्यक्ति के बीच ही सुख दुख होते हैं । इस बात से सहमत हूँ । सटीक टिप्पणी ।
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