Saturday, June 26, 2010

आप अपनी धारणों को तोडते रहें और दूसरों की धारणों को भी । धारणा तोडने का यह अर्थ नहीं होता कि आप लोगों का अपमान करना शुरू कर दें । अपमान करना और अपनी बात को नये िसरे से कहना, दोनों में अंतर है । मान लीजिए आप अपनी पत्‍नी के लिए कोई उपहार लेकर आते हैं, आपकी पत्‍नी खुश हो जाती है । उसके मन में आपके प्रति एक धारणा बन गई कि आप हर बार उसके लिए उपहार लेकर आएंगे । और यह धारणा तब टूट जाती है जब आप उसके लिए कोई उपहार नहीं लाते । यानि आपका दिया गया उपहार भी कलेश का एक कारण बन गया । जैसे आपने उपहार न लाकर कोई गुनाह कर दिया हो । यदि आपने पहले से ही उपहार न दिया होता तो शायद कोई कलेश न होता, तब एक धारणा थी कि आप उपहार देते ही नहीं है । ठीक दूसरे पहलू को देखते हुए न किसी के प्रति कोई धारणा रखनी चाहिए वरना वही कलेश वाली हालत आप पैदा कर देंगे । आप धीरे धीरे धारणा रखना बन्‍द करें और धीरे धीरे धारणा तोडना शुरु करें, आपके जीवन से तनाव कम होना शुरु हो जाएगा 1 आपके बनाए हुए झूठे महल बनने से पहले ही टूट जाएं तो बेहतर 1

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