Thursday, June 17, 2010

आजकल जो विवाह होते है उनमें ज्‍यादातर दिखावा और ऊची ऊची बातें की जाती हैं। लेकिन जब सच्‍चाई सामने आती है तो सपनों को महल टूट जाता है । विवाह के 6 महीने बाद ही जो पति पत्‍नी अपनी अपनी कमियों को बहुत ही खूबी के साथ छिपाते हैं, खुलकर सामने आने लगती हैं और प्रेम का नशा जल्‍दी ही उतर जाता है । तब दोनों एक दूसरे को ताना देते हैं । जहां प्रेम की कसमें खायी गई थीं, वहां जहर वाली बातें कर करके जीवन को नर्क बना लिया जाता है और ऐसे में पति भी और पत्‍नी भी कहते हैं विवाह से पहले सब ठीक था । नहीं, यह सब विवाह के बाद प्रकट हो जाता है, इसलिए विवाह गलत कहा जाता है । विवाह गलत नहीं होता, व्‍यक्ति गलत होता है । यह आरोपों प्रत्‍यारोपों का शीत युद्व तब तक चलता रहता है जब तक दूसरे से सुख की इच्‍छा करते रहेंगे । दूसरे से केवल प्रेम,सुख की कल्‍पना एक भूल है, अपने को अंधेरे में रखने जैसा, यानि एक मूर्खता ।

No comments:

Post a Comment