Sunday, June 20, 2010

ध्‍यान यानि मेडिटेशन हर नजर से उपयोगी और लाभप्रद होता है । कुछ लाभ इस प्रकार हैं – मन निर्मल और शांत होता है, पढाई में ज्‍यादा रुचि पैदा होती है, शारीरिक और मानसिक रुप से स्‍वास्‍थ्‍य बनता है, दुख और परेशानी कम होते हैं , बातचीत की कला का विकास होता है, नेगेटिव विचार समाप्‍त होते हैं, आत्‍मविश्‍वास और दृढशक्ति में विकास होता है, जीवन में सफलता के अवसर मिलते हैं, नया सोचने की शक्ति मिलती है, सुन्‍दर जीवन का आरम्‍भ होता है ।
मैंने एक जगह पढा था जो अच्‍छा लगा -
ज्ञान प्रा‍प्ति के लिए अध्‍ययन करें, सुख प्राप्ति के लिए व्‍यवसाय, संतोष प्राप्ति के लिए परोपकार, ईश्‍वर प्राप्ति के‍ लिए प्रार्थना, स्‍वास्‍थ्‍य प्राप्ति के लिए व्‍यायाम – समय का सदुपयोग करें ।
यदि सुख है तो यही है, अभी है । ध्‍यान से तो क्षमताएं बढती हैं । गांधी जी ने एक जगह लिखा था – मैं समय को देखकर बदलता रहा । जीवन में कोई एक सिदधात नहीं अपनाया, जो ठीक लगा वही किया । तनाव का एक कारण यह भी है कि जबहम सबको खुश करने की इच्‍छा रखते हैं, लोकप्रिय बनने की कोशिश करते हैं । हमारे कर्म ही बता देते हैं कि हमारा धर्म क्‍या है । यदि जानना है तो अपने कर्मों को जानो । हम क्‍या हैं और क्‍या होना चाहते हैं, यह सब हमारे कर्म बता देते हैं ।

हर बात को फील करो माइंड नहीं । समय के अनुसार चलो, हंसी मजाक करो, उडाओ नहीं । कसूरवार के कसूर को बताओ । अगर नहीं बताते हैं तो आप बडे कसूरवार हो जाते हैं । दोस्‍ती की निगाह से देखे, दूसरा स्‍वयं आपकी दोस्‍ती चाहेगा । हां, मित्रों का दायरा सीमित रखना ही बेहतर । आप जब भी दूसरों से विनम्रता और मित्रता के भाव से मिलते हैं तो अवश्‍य ही आपको मानसिक संतोष मिलेगा । जो वक्‍त की कद्र नहीं करते हैं, वक्‍त उनकी कद्र नहीं करता है, मैंने सुना है जो अपना समय बर्बाद करता है, वक्‍त उन्‍हें बर्बाद कर देता है । अपने समय को अपने लिए लगाने पर प्राथमिकता देनी चाहिए वरना बेकार में कितना ही समय नष्‍ट कर लें अन्‍त में पाते हैं निराशा ।
मैंने सुना है यदि हम अपने जीवन के बारे में सिर्फ सोचते हैं तो हमारा जीवन दुख बन सकता है और यदि हम जीवन को देखते हैं, अनुभव करते हैं तो जीवन सुख बन सकता है । जितना गहरे में सोचेंगे, उतने ही अंधरे में बढते जाएंगे ।

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