कोई भी कार्य करें लेकिन ध्यानपूर्वक करें । पूरी तरह खो जाएं तो वह काम गलत हो ही नहीं सकता । कोई भी काम पूरी जागरूकता से किया जाए तो काम का परिणाम ठीक ही होता है । अगर हम निरन्तर परिश्रम करने की आदत डाल लें तो हम अपना उज्जवल भविष्य बना सकते हैं ।
जिन्दगी का सबसे बडा विष सन्देह है । न कुछ छोडना है और न कुछ पाने की इच्छा करनी है, जो है ठीक है, जैसा है स्वीकार है, किसी प्रकार का विरोध नहीं, दुख के बाद सुख और सुख के बाद दुख, चक्र यू ही चलता रहता है । विरोध करने, बुरा मानने, लडने झगडने गुस्सा करने और शिकायत करने से कुछ न होगा – जब हम ऐसा सोचने लगते हैं तो दुख सुख से ऊपर उठकर शांत होने लगते हैं, शांति का भास होने लगता है ।
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