Sunday, June 20, 2010

ऐसा लगता है मानो चारों ओर असंतोष और तनाव बढता जा रहा है । दिन में 100 चेहरे देखने के बाद लगता है मानो 90 चेहरे उदास हैं । पहले दो अनजान जनों के बीच तनाव होता था लेकिन अब तो परिवारजनों में भी तनाव होने लगा है । छोटी छोटी बात पर । सभी अपने अधिकारों के‍ लिए लड रहे हैं, अपने कर्तव्‍यों से विमुख होकर । क्‍या मुख्‍य कारण है तनाव का ? क्‍यों बढता जा रहा है असंतोष का जहर ? पवित्र रिश्‍तों में प्रेम की जगह अविश्‍वास भरता जा रहा है । मेरा मानना है इसका मुख्‍य कारण अंहकार है । मैं ठीक तू गलत, इस धारणा ने सहनशीलता, प्रेम के वातावरण को बिगाड दिया है । अध्‍याधिक महत्‍वकाक्षाएं भी एक कारण बन गई हैं तनाव के लिए । और ज्‍यादा पाने की इच्‍छा ने ही हमें भूला दिया है कि सात्विक जीवन भी एक जीवन है।
आगामी दस वर्षों में क्‍या होगा, इसकी कल्‍पना करना आसान नहीं । लेकिन भीड और भीड ने वातावरण दूषित कर दिया है । मंहगाई की मार ने भी घर घर में तनाव बढा दिया है । अपराध बढ रहे हैं, भ्रष्‍टाचार बढ रहा है्, ज्‍यादा पाने की इच्‍छाएं बढ रही हैं, परिणाम तनाव बढता जा रहा है । एक ओर भूख से तडपते लोग और दूसरी ओर शराब और शबाब के नशे में डूबे अमीर लोग । सामाजिक संबंधों पर प्रश्‍नचिन्‍ह, और रानीति में व्‍यप्‍त भ्रष्‍टाचार । बढती बीमारियां, दुर्घटनाएं,प्राकृतिक आपदाएं ।

आदमी भीड में तनावग्रस्‍त होगा और अकेले में अकेलापन काटता है, परिणाम तनाव । सिगरेट शराब,नशीले पदार्थ पिर तनाव । संयुक्‍त परिवार व्‍यवस्‍था टूटती जा रही है, रिश्‍तो में कूटनीति, धर्म की आड में कुकर्म । देर रात तक जागना, देर सबेर उठना । शोर बढना, नींद न आने की बीमारी ।

कौन बचेगा इस तनाव से, इस असंतोष से ? शायद कोई नहीं बचेगा । हां, हो सकता है कुछ लोगों में तनाव का प्रतिशत कम हो । जेसे जैसे समझ का विकास होता है, तनाव कम होता है । तनाव को कम किया जा सकता है यदि हम अपनी मानसिक और शारीरिक व्‍यस्‍ततओं को कम करें । आजकल अपने शरीर और मन से इतना काम लिया जाता है कि उसे ठीक से आराम भी नही मिल पाता। शरीर और मन की मशीन इतनी ज्‍यादा गर्म हो जाती है कि वह तनाव का रुप धारण कर लेती है । यह तनाव पहले शहरों में और बाद में गांवों में भी पहुंचेगा । तनाव में व्‍यक्ति या तो कुछ नहीं खाता अथवा जरुरत से ज्‍यादा खाता है‍ । परिणाम आलस और कामचोर होने की भावना । तनाव का एक कारण अत्‍याधिक भावुकता भी है । हर वि्षय पर सोचना, कल्‍पना करते रहना और नेगेटिव सोच तनावग्रस्‍त बना देती है ।
तनाव आता है उसे आने दें, उसे स्‍वीकार कर लें और निर्णय 2 घंटे बाद लें, गुस्‍सा तुरन्‍त न करें, देखेंगे तनाव गायब हो गया ।

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