Sunday, June 20, 2010

अपना अनुभ्‍।व ही सबसे बडा सच है । अनुभव ही बताते हैं जीवन का दृष्टिकोण । क्‍या सच है और क्‍या झूठ है, केवल अपने देखने का नजरिया होता है । बार बार कोशिश करने के बाद ही सत्‍य को जाना जाता है । अनुभव कडवे भी होते हैं और मीठे भी । अनुभव को जाना जाता है मौन के क्षणों में । क्‍या जरुरी है जीवन में, क्‍या पाना है ? क्‍या खोज करनी है ? हमारे जीवन का मकसद क्‍या है ? जीवन को जीना, जिन्‍दगी का मकसद क्‍या है ? पाना, और ज्‍यादा पाना, और ज्‍यादा, और ज्‍यादा । क्‍यों ? बस यूं ही, दूसरे भाग रहे हैं, इसलिए दौड जारी है । सोए सोए जी रहे हैं हम ।
ऐसे बहुत से काम है जो हम कर सकते हैं लेकिन करते नहीं हैं । इसका एक ही कारण है और वह है हमारी सुस्‍ती । हम अपनी ढुलमुल नीति द्वारा कई रचनात्‍मक कार्यों को होने से बचा लेते हैं । मैंने राजीव गांधी की लगन व निष्‍ठा को देखा है, वह समय के पाबंद होकर चलते थे ।

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