Friday, June 18, 2010

तनाव में हम लोग कितना सोच बैठते हैं और हमें ऐसा लगता है कि हम किसी भी प्रकार से सुखी नहीं रह सकते । हम सोचते हैं कि मां बाप अपनी बात मनवाना चाहते हैं और पत्‍नी अपनी । बाद में बच्‍चे अपनी बात मनवाना चाहते हैं । हर पत्‍नी चाहती है कि उसका पति उसकी इच्‍छाओं के अनुसार काम करे और पति चाहता है कि पत्‍नी उसके अनुसार सोचे, उसकी किसी भी बात का विरोध न करें । यह इच्‍छा सभी में होती है लेकिन मां बाप और पत्‍नी या पति में कुछ ज्‍यादा ही । पति भी कई बार सिनेमा की दुनिया में खोकर आदर्श पत्‍नी की खोज करने लगता है ।
हम क्‍यों भूल जाते हैं कि कोई किसी को पूरी तरह से खुश नहीं रख सकता, दूसरे को संतुष्‍ट नहीं कर सकता है । न पति, न पत्‍नी, न मां बाप – कोई भी किसी को संतोष नहीं दे सकता । तनाव में घिर जाने से और उससे निकलने का एक स्‍टीक रास्‍ता यही है कि हम आराम करें । अपने शरीर को पूरी तरह ढीला छोडकर लेट जाएं और जो हमसे नाराज होता है, गुस्‍सा करता है या जली कटी सुनाता है, उसको सुने, केवल सुने और अनदेखा कर दें ।

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