Sunday, June 27, 2010

गुस्‍सा करने से कुछ न होगा । आपसी सहयोग एवं सामन्‍जस्‍य की स्थिति से ही लाभ है । दूसरों का अपराध क्षमायोग्‍य हो तो तुरन्‍त क्षमा कर देना चाहिए और गुस्‍सा शांत करने का एक ही तरीका है चुप हो जाना । मैंने सुना है दिन रात की मेहनत एक न एक दिन अवश्‍य काम आती है । पढनेलिखने से आदमी योग्‍य बन जाता है । पढने लिखने का उददेश्‍य मात्र नौकरी पाना अथवा डिग्री लेना ही नहीं है, बल्कि योग्‍य इंसान बनना भी है । मित्रों का दायरा सीमित रखना ही अच्‍छा है ।ज्‍यादा लोगों से मिलने पर अंतत- मन अशांत ही होता है और सोचने समझने की शक्ति पर बुरा असर पडता है । यदि हम कम लोगों से मिलेंगे तो मन शांत होगा और मन शांत होगा तो अच्‍छा सोचने की ताकत मिलती है ।मुस्‍कराता चेहरा आपको सफलता दिलाता है । अमीर कौन है ? क्‍या केवल ढेर सारे पैसे रखनेवाला व्‍यक्ति अमीर होता है ? नहीं । अमीर होने के लिए तीन गुणों का होना आवश्‍यक है । एक, वह मानसिक रुप से स्‍वथ्‍य होना चाहिए, दूसरा शारीरिक रुप से तन्‍दरुस्‍त होना, तीसरे, आर्थिक रुप से सम्‍पन्‍न होना । इन तीनों से पूर्ण व्‍यक्ति ही अमीर हो सकता है । केवल पैसे वाले व्‍यक्ति को अमीर नहीं कह सकते ।
एक बाति नोट करने वाली है । हंसने से मुस्‍कराना ज्‍यादा बेहतर है । मुस्‍कराने की कीमत निस्‍संदेह हंसने से बहुत अधिक है । बार बार प्रयास करने पर सफलता मिलती है सच है गरीबी कोई ईश्‍वरीय देन नहीं है । अपने प्रयासों और दृढनिश्‍चयी व्‍यक्त्वि को मजबूत बनाकर गरीबी से ऊपर उठा जा सकता है । धनी बनने के लिए अपने चित्‍त में शंका और त्‍यागना परम आवश्‍यक है । तुच्‍छ और हीन विचारों वाला व्‍यक्ति कभी उन्‍नति नहीं कर सकता । अपने विचारों को साहसपूर्ण कार्यो के लिए लगाना चाहिए । एक विचार है मानसिक शांति के बारे में । सेल्‍फ सेटिसफेक्‍शन के लिए एक दो बातों को ध्‍यान में रखना जरुरी है । हमें उतना ही काम करना चाहिए जितना हम करना चाहते हैं, जितनी हमारी इच्‍छा है । तभी मानसिक शांति मिलती है । वास्‍तव में सच्‍ची शांति है कम इच्‍छाओं में । बिल्‍कुल खाली बैठे रहना भी मानसिक अशांति का एक कारण है । इसलिए अपने को हमेशा बिजी रखना चाहिए । इसलिए साधारण बनना और बनाना चाहिए । अपने बीच सहनशीलता,विनम्रता, आकर्षण, ईमानदारी, मेहनत की भावना जैसे गुणों को कूट कूट कर भर लेना चाहिए । यदि आपको गुस्‍सा आता है तो एक ही समाधान है – चुप हो जाएं । कसूर तुम्‍हारा है या किसी और का, अपना ही मान लो । कुछ नहीं बिगडेगा, बल्कि झगडा भी नहीं होगा । हमारी छवि भी खराब होने से बच जाएगी ।
अच्‍छी पुस्‍तकों की एक छोटी सी लाइब्रेरी आपके पास हैं तो मन प्रसन्‍न रहता है । अच्‍छी पुस्‍तकें मानसिक संतोष देती हैं और आपकी उन्‍नति में सहायक होती है । कोई भी काम शांत मन से किया जाए तो कोई परेशानी नहीं होती, वरना तो हर काम झंझाल हो जाता है ।
जरुरत से ज्‍यादा खाना हमेशा नुकसान देता है । हम देखते हैं कि लोगों के पेट बाहर निकले होते हैं अथवा मोटापे से पीडित होते है। । उनके दुखों का कारण यही है कि उन्‍होंने अपने खाने पीने पर ध्‍यान नहीं दिया । बिना भूख के तो कभी खाना ही नहीं चाहिए । और यह भी ध्‍यान में रखना चाहिए कि हम खा क्‍या रहे हैं ? खटटा और तला हुआ, ज्‍यादा नमक मिर्च की चीजें खाना मतलब अपना नुकसान । यदि अपना स्‍वस्‍थ बनाए रखना है तो खानपान पर ध्‍यान देना परम आवश्‍यक है ।
हर एक व्‍यक्ति की अपनी मंजिल होती है, अपने रास्‍ते होते हैं, अपने विचार होते हैं, अपने सोचने का एक तरीका होता है, अपना दृष्टिकोण होता है । लेकिन हम लोग दूसरों के विचारों को सुनसुन कर अपने विचारों को कमजोर बना लेते हैं और एक विरोधाभास की स्थिति पैदा कर लेते हैं और चिन्‍ता के सागर में डूब जाते हैं, परेशानी में पड जाते हैं, चिडचिडे, क्रोधी और ईर्ष्‍यालू बन जाते हैं । हां, यदि अपना विचार मजबूत है तो
कोई ऐसी बात नहीं है कि हमें अपने टारगेट से कोई डिगा सके । अपने विचारों पर भी विचार करते रहना चाहिए । जल्‍दबाजी में किये गये कार्य अपूर्ण और गलत ही होते हैं ।

यदि कोई समस्‍या है तो उसका हल भी हमें पता होता है लेकिन होता यह है कि हम अपनी समस्‍या का हल दूसरों से पूछते हैं लेकिन अन्तिम निर्णय तो हमारा ही होता है और यदि अंतिम निर्णय अपना है तो शायद दूसरों से पूछने की जरुरत नहीं । दूसरों की सलाह का महत्‍व नहीं है । यदि कोई अपना सुझाव देता है तो कोई बुरा नहीं । लेकिन अपना विचार शो करने की जरुरत क्‍या है ? दूसरों की सुनो । अपनी बात गुप्‍त रखो । यदि कोई मांगने पर भी अपने विचार नहीं देता है तो क्‍या हुआ, हमारे अपने विचार तो हैं ही ।
यदि हम अपने बीच नेगेटिव विचार रखते हैं, अपनी असफलता की कहानी कहते रहते हैं, तो हम कैसे सफल हो सकते हैं ? जब हम ही अपने को असफल कह रहे हैं तो दूसरा हमें कैसे सफल कह सकता है ? कैसे कोई दूसरा हमारा उत्‍साह बढा सकता है ? दुनिया को तो यह दस्‍तुर है कि वह कुछ न कुछ बोलती ही रहती है, दूसरों के बीच गलतियां कमियां निकालती ही रहती है । साहस बढाना या उत्‍साहित करना दुनिया का काम नहीं है । अगर एक आध साहस बढाता भी है तो बडी बात नहीं । इसलिए स्‍पष्‍ट है कि जो कुछ बनना है, स्‍वयं ही बनना है । दुनिया की परवाह करना छोडना होगा । दुनिया का क्‍या है बोलती रहेगी तब तक जब तक हम असफल हैं । जिस दिन सफल हो गए, दुनिया बोलना छोड देगी, टोकना छोड देगी, हत्‍तोत्‍साहित करना छोड देगी । अपना काम करते रहना चाहिए ।

जीवन में अच्‍छी इंगलिश के सफलता का मिलना थोडा मुश्किल है । कोई भी क्षेत्र हो, सर्विस का या बिजनैस का, इंगलिश अच्‍छी होनी चाहिए । अपनी इंगलिश अच्‍छी करने के लिए रोजाना अध्‍ययन करना चाहिए ।

न ही चेहरा इतना खिला हो कि भददा लगे और न ही इतना बुझा बुझा हो कि चेहरे पर एक बनावटीपन हो । मध्‍यमार्ग अपनाना ही ठीक है । न इतना ज्‍यादा बोलें कि दूसरों को बुरा लगे और न ही इतना कम बोलें कि दूसरा बोर हो जाए । नये नये लोगों से मिलने पर काफी कुछ सीखा जा सकता है । चुस्‍त, खुश और मेहनती और पढे लिखे लोगों से मुलाकात करते रहना चाहिए , जीवन में सफलता का रहस्‍य समझ् में आने लगता है ।
नदी का यह किनारा आह भर कर कहता है मुझे पूरा विश्‍वास है कि संसार का सारा सुख उस पार है । इधर नदी का दूसरा किनारा लम्‍बी सांस खींचकर कहता है कि जिन्‍दगी का असली सुख जिसे कहा जाता है वह इस पार नहीं, उस पार है ।

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