Sunday, August 22, 2010

आपको गर्मी लग रही है, शरीर पसीने से तर हो रहा है । आप गर्मी से बेहाल हुए जा रहे हैं, अपने बीच एक असंतोष महसूस करते हैं । आपको नींद नहीं आ रही है, बार बार बुरे विचारों से सिर दर्द हो रहा है, तनाव से घिरे जा रहे हैं । रात के 12 बज गये हैं और अभी तक नींद नहीं आयी । आप व्‍यथित हो उठते हैं ।
घबराइए नहीं । गर्मी को स्‍वीकार कर लीजिए । सोचिए, हाजिर हूं, लग ले जितनी गर्मी लगना चाहे । शरीर पसीने से भरता है तो भरने दीजिए । सोचिए – देख रहा हूं मैं । आखिर कब तक गर्मी लगती है । पसीना पोंछते रहिए । लेकिन बोलिए कुछ न । शांत होकर गर्मी को सहयोग दीजिए । जल्‍दी ही गर्मी के कारण होनी वाली पीडा कम होने लगेगी । दूसरा उपाय भी है । गर्मी है तो घबरा क्‍यों रहे हो, पंखे के नीचे चले जाएं, कूलर के सामने खडे हो जाएं या ए सी का मजा लीजिए । यदि इनमें से कुछ भी नहीं है तो हाथों में कोई अखबार ले लीजिए और गर्मी को दूर भगाएं । बस बेहाल होना छोड दीजिए ।
इसी प्रकार यह स्‍वीकार कर लीजिए कि आज नींद नहीं आ रही । रात के 12 बज गये हैं तो क्‍या हुआ । बुरे विचार और तनाव को भी स्‍वीकार कर लीजिए । आंखे बन्‍द करके विचार कीजिए और यह मान लें कि आज तो नींद आनी ही नहीं । आज तो छुटटी है । आज तो जागना ही है । स्‍वीकार का भाव आते ही नींद की परेशानी समाप्‍त होने लगेगी और आपको तुरन्‍त नींद भी आ जाएगी ।


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तुम स्‍वामी हो, यानि स्‍वयं के मालिक । प्रत्‍येक व्‍यक्ति की अंतनिर्हित क्षमता है कि वह स्‍वामी बने, अर्थात स्‍वयं का मालिक । अपने को जानो और आनेवाली प्रत्‍येक समस्‍या का समाधान भी स्‍वयं ही खोज लेंगे ।

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