Tuesday, August 31, 2010
दुख क्या है ? यह ठीक से समझना आसान नहीं ।अक्सर हम दुख को बहुत ही आसान भाषा में परिभाषित कर देते हैं । जैसे मैंने आपको गाली दी, आप को दुख हुआ । मैंने आपकी कोई बात नहीं मानी, आपको दुख हुआ । नहीं, ये दुख नहीं हैं बल्कि हमारी बंधी धारणाओं का टूटना है । जिस व्यक्ति को हम दुखी मानते हैं वह पूरी तरह दुखी नहीं होता है । सुख के क्षण भी उसमें मौजूद होते हैं । जिस व्यक्ति को हम दुखी कह रहे हैं, तभी उसे कोई ऐसी चीज दे दी जाए तो हो सकता है कि वह तुरन्त खुशी से नाच उठे । एक दूसरे के प्रति हम दुखी नहीं होते हैं । हां, एक बाधा का अनुभ्ंव करते हैं, थोडी देर के लिए । अत कोई भी टूकडों में दुखी नहीं हो सकता । दुख आना तो एक प्रक्रिया है जो होती है अथवा नहीं होती है । इस संसार में बहुत कम लोग दुखी हैं ।
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