Thursday, August 26, 2010

परिस्थितियां आदमी को बदल देती हैं । न चाहकर भी उसे बदलना पडता है । या वह खुद व खुद बदल जाता है । यदि कहा जाए कि परिस्थितियां तो बनायी जाती हैं और उसमें व्‍यक्ति खुद ही फंसता है तो इस बारे में यह कहा जा सकता है कि परिस्थितियां कई बार इतनी ज्‍यादा हावी हो जाती हैं कि मनुष्‍य चाहकर भी कुछ नहीं कर पाता है और धीरे धीरे बेबस सा होकर बदलने लगता है । यह परिवर्तन अचानक एक ही दिन में नहीं आ जाता है, बल्कि धीरे धीरे आता है । रोज रोज की घटनाएं चर्चाएं व्‍यक्ति के मस्तिष्‍क पर प्रभाव डालती रहती हैं । फलस्‍वरुप परिवर्तन आता है । ऐसा लगता है जैसे इस जीवन रुपी यात्रा व्‍यक्ति अकेला ही पूरा कर सकता है । दूसरे लोग तो मात्र कुछ देर के लिए सहयोगी हो सकते हैं । सहयोगी भी अपनी शर्तों पर सहयोग देते हैं, अगर उन्‍हें पहले सहयोग दिया जाए तो ।

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