Sunday, August 22, 2010

तुम्‍हारे बीच क्‍या बुराईयां हैं, यह ध्‍यान देने की ज्‍यादा जरुरत नहीं है । जरुरत है तुम्‍हारे बीच क्‍या अच्‍छाईयां हैं । जैसे जैसे अच्‍छाईयां बढेगी, बुराईयां खत्‍म होने लगेगीं । यदि अंधेरे को दूर करना है तो प्रकाश उत्‍पन्‍न करना होगा । अंधकार से लडने की जरुरत नहीं ।


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तुम्‍हारा दुख, तुम्‍हारा सुख, तुम्‍हारे भीतर है । किसी को देखकर सुख मिलता है या दुख यह सिर्फ तुम्‍हारे साथ घटता है, दूसरों के साथ नहीं । यदि दूसरे से कुछ घटता तो यह घटना सभी के साथ होती, सिर्फ तम्‍हारे साथ नहीं । एक व्‍यक्ति के मौत का समाचार सुनकर आप नहीं रोये । क्‍यों ? शायद उस व्‍यक्ति से आपने अपने को जोडा नहीं था । लेकिन अपने पिता की मौत की खबर सुनकर आप जोर जोर से रोने लगे । क्‍यों ? आपने पिता से अपने को जोडा हुआ था । आप जितना ज्‍यादा दूसरों से जुडेंगे, उतना ही जीवन में दुख भी आयेगा ।

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