Monday, August 23, 2010

हमें अपने प्रियजनों पर गुस्‍सा आता है । प्रियजन जब कोई चुभनेवाली बात कह देता है तो एक विचार उठता है कि तुरन्‍त जवाब तलब कर लिया जाए । लेकिन तुरन्‍त शांत होना पडता है । उस प्रियजन के प्रति जो संबंध है उसका ख्‍याल रखना पडता है । सोचते हैं कोई अर्थ नहीं रखता बोलकर, कुछ समझाने की कोशिश की जाए क्‍योंकि हम जिसके प्रति गुस्‍से में होते हैं, जल्‍दी ही उसके प्रति शांत भी हो जाते हैं । अच्‍छा है यदि गुस्‍से के समय कुछ भी न बोला जाए । गुस्‍सा करने वाला चाहे कुछ भी बोलता रहे, परवाह नहीं करनी चाहिए । हां, बोलकर या अपने को जरुरत से ज्‍यादा सही और दूसरे को गलत साबित करने की कोशिश् में समस्‍या और बडी बन जाएगी । कोई भी अपनी गलती मानने को तैयार नहीं होता है । चाहे कोई दूसरा हो या स्‍वयं हो । हां, गुस्‍सा शांत होने के बाद हो सकता है कि गुस्‍सा करने वाला यह मान जाए कि मैं भी तो दोषी हो सकता हूं । इसलिए सुखी जीना है तो इस सूत्र को समझ लेना होगा कि गुस्‍सा करने से कुछ भी अच्‍छा नहीं होगा । हां, गुस्‍सा करने वाले व्‍यक्ति से कभी भी बहस मत करो । गुस्‍सा शांत करने का एक ही आसान तरीका है – चुप हो जाओ । यदि हम चुप हो जाते हैं तो दूसरे का गुस्‍सा ज्‍यादा देर तक हावी नहीं हो सकेगा । वह जल्‍दी ही समाप्‍त हो जाएगा और आपके चुप रहने को एक गुण मान लिया जाएगा । ----- मैंने इतना गुस्‍सा किया, पर वह एक शब्‍द भी नहीं बोला, बेचारा सुनता रहा । मैंने शायद कुछ ज्‍यादा ही गुस्‍सा कर लिया । गुस्‍सा करनेवाला ही यह सोचकर पानी पानी हो सकता है । हां, एक बात का ध्‍यान रख लेना चाहिए, जो बातें उसके गुस्‍सा करने में उपयोगी हैं, उन्‍हें स्‍वीकार कर लें, चाहे धीरे धीरे । अपना इगो बीच में न आने दें । मान लीजिए आपकी पत्‍नी आपको सिगरेट पीने से मना करती है और तेज तेज गुस्‍सा करती है तो शायद आपको उसकी जली कटी बातें सुन सुनकर गुस्‍सा आ जाता हो । लेकिन आपके चुप होने से जल्‍दी ही उसका गुस्‍सा शांत हो जाएगा । आप भी तो सोचिए यदि वह आपकी सिगरेट जैसी आदत छुडाने के लिए गुस्‍सा या झगडा कर रही है तो इसमें लाभ किसका है ? आप नहीं मानते कि वह आपके फायदे का ही सोच रही है ?
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