Friday, August 20, 2010

क्‍या आप जानते हैं ओशो रजनीश के संन्‍यासी को स्‍वामी और संन्‍यासिन को मां कहकर पुकारा जाता है ?
अक्‍सर पूछा जाता है कि रजनीशी हर स्‍त्री को उसके नाम से पहले मां शब्‍द का प्रयोग किया जाता है ? कुंआरी लडकी को भी मां कहना और अपनी पत्‍नी को भी मां कहना कहां तक वाजिब है, जबकि पत्‍नी के साथ् शारीरिक संबंध भी स्‍थापित किए जाते है। ? कुंआरी लडकी को भी मां कहना अटपटा सा लगता है । आशो रजनीश ने इस बारे में कुछ व्‍याख्‍या की है जिसका सार यह है –
प्रत्‍येक स्‍त्री में प्रजनन शक्ति होती है, इलिए वह मूलत मां ही है । हमारा समाज स्‍त्री को अलग अलग रुपों में देखता है । स्‍त्री को मां, बहन और पत्‍नी के अलावा कई रिश्‍तों में देखा जाता है, ये समाज की मान्‍यताएं हैं कि वह स्‍त्री को कभी मां, कभी बहन और कभी पत्‍नी के रुप में देखता है लेकिन इन सब का मूल एक ही है कि वह स्‍त्री है । स्‍त्री जन्‍म से ही मां बनने की क्षमताएं रखती है । हमारे समाज की यह परम्‍परा है कि पत्‍नी से सम्‍भोग करके वंश परम्‍परा को और आगे बढाया जाए ।लेकिन इसका यह अर्थ नहीं हो जाता है कि वह मां नहीं है । स्‍त्री की स्‍वाभाविक प्रवृति ही मां है । चूंकि पिछले हजारों वर्षों से स्‍त्री जाति को भिन्‍न भिन्‍न भागों में बांटकर शोषण किया गया है, लेकिन मां के रुप का सभी ने सम्‍मान किया है, यदि हम प्रत्‍येक स्‍त्री को उसके वास्‍तविक रुप में पुकारकर याद करें तो इसमें बुरा ही क्‍या है ?

प्रत्‍येक पुरुष किसी न किसी स्‍त्री की योनि से ही जन्‍म लेता है । प्रत्‍येक स्‍त्री किसी न किसी की मां होती है या उसे किसी न किसी पुरुष की मां बनना होता है । फ्‍रि प्रत्‍येक स्‍त्री को मां कहकर पुकारना स्‍त्री वर्ग का सम्‍मान करना ही होगा । शोषित स्‍त्री वर्ग को अब पुरुष वर्ग द्वारा ही ऊंचा उठाना होगा, जिस पुरुष वर्ग ने स्‍त्री की महानता को दिगभ्रमित किया है ।
यह जीवन का चक्र है । एक बच्‍चा जब एक स्‍त्री से उत्‍पन्‍न होता है तो उसे पहला प्रेम स्‍त्री का ही प्राप्‍त होता है, जिसे वह मां कहता है । पैदा होने के बाद बच्‍चा सबसे पहले मां के स्‍तन चूसता है, उसे ढूंढना नहीं पडता । मां के सूखे स्‍तनों में दूध भर आता है और बच्‍चा अपना भोजन प्राप्‍त करता है । अब उस बच्‍चे पर स्‍तन का प्रभाव बहुत ही गहरा हो जाता है,इसलिए वह मां को सबसे ज्‍यादा सम्‍मान देता है । जब वह बडा होता है तो वह दूसरी स्‍त्री की ओर आकर्षित होता है । प्रेम की यह यात्रा आगे बढती है । वह बच्‍चा पुरुष बनता है । उसे दूसरी स्‍त्री में भी मां दिखती है । यही कारण है कि पुरुष का सबसे पहले ध्‍यान स्‍तन की ओर जाता है । क्‍योंकि उसे स्‍मरण आता है कि स्‍त्री के इस अंग से उसका कोई पुराना नाता है । चूंकि उसने अपनी मां के स्‍तनों को चूसा होता है वह पत्‍नी से प्रेम करता है । उस पत्‍नी के प्रति शारीरिक संबंध की इच्‍छा होती है । यह भी वह अपने पिछले अनुभव को देखकर सोचता है । इस प्रकार प्रेम का एक चक्र और आगे बढता है । यही कारण है कि स्‍त्री पुरुष एक दूसरे की ओर आकर्षित होते हैं । स्‍त्री पुरुष के संयोग से जन्‍म होता है इसलिए दोनों के प्रति आकर्षण स्‍वाभाविक है । स्‍त्री मूलत मां है । हां, समाज की अलग अलग मान्‍यताएं हो सकती हैं, इसलिए पत्‍नी, बहन और दूसरे रिश्‍तों में स्‍त्री को मां कहना अजीब लगता है । लेकिन यह सच है ।
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