Friday, August 20, 2010

ये विचार मेरे नहीं, बल्कि एक महिला के हैं जो उसने मुझे एक बातचीत में कहे । उसने बताया कि पत्‍नी को बेढंगी चाल चलने में रोकने के लिए पति का बहुत बडा हाथ होता है । यदि पति कमजोर हुआ तो पत्‍नी उसका नाजायज फायदा उठाती है और घमण्‍डी हो जाती है । इसलिए पति को उसे कंट्रोल में रखना चाहिए । पत्‍नी को विचारों की अभिव्‍यक्ति तो देनी चाहिए लेकिन पूर्ण अधिकार एक साथ नहीं देने चाहिए बल्कि धीरे धीरे देने चाहिए । प्राप्‍त अधिकारों काक जब वह सदुपयोग करे तो और अधिकार देने चाहिए । वैस अधिकार देने ही नहीं पडते, बल्कि पत्‍नी की सह्दयता, सहनशीलता, प्रेम व क्षमा जैसे गुण अपने आप अधिकार प्राप्‍त कर लेते हैं । पत्नियों को सलाह दी जाती है - कभी भी अपने घर की बातें मायके में न बताएं, खासतौर पर छोटे मोटे झगडों की चर्चा न करें ।
कभी भी बिना आज्ञा के मायके न जाओ । जिद और दबाव के आधार वपर मायके जाना ठीक नहीं । पति को पसन्‍द नहीं होता । मायके में ज्‍यादा फोन करना या पत्र लिखना भी ठीक नहीं । पति से झूठ न बोलें । अपराध होने की स्थिति में धीरे धीरे समय स्थिति को देखकर अपराध का पश्‍चाताप कर लें । किन्‍तु कभी भी पति को मूर्ख न समझें । हो सकता है कि उसकी मूर्खता जो दिख रही है, वह मूर्खता न हो । पति में पूर्ण विश्‍वास रखें । पति की विचारधारा को ही अपनी विचारधारा समझें या अपनी विचारधारा को पति की विचारधारा बनाएं, लेकिन अपना राग, विचार न बनाएं, भ्रम पैदा होगा, पति को अच्‍छा नहीं लगता । पति पर संदेह न करें । किसी औरत से बात करने पर, रात देर से आने पर, सिनेमा न ले जाने पर, रिश्‍तेदारी में न जा सकने पर गुस्‍सा न करें । अपने प्रेम के बल पर अपना विश्‍वास दिखाएं । पति आपकी सभी बातें मान लेंगे । लेकिन रोबदार ाव्‍यवहार से बात न मनवाएं, बाद में नुकसान होने की सम्‍भावना है । पति की खिल्‍ली न उडाएं । उसकी गलतियों,कमियों,बुराइयों को दूर करने में पति को सहयोग दें या अनदेखा करें । पति के परिवारजनों की कदापि बुराई न करें और न ही दूसरों के सामने पति को डांटना शुरु कर दें । पति का उत्‍साह बढाएं । यदि वह हीनभावना से ग्रस्‍त है अथवा पीडित है तो दिलासा दें । असफलता पर पति का मनोबल गिराएं नहीं ।
पति को चाहे परमेश्‍वर न मानें, लेकिन इंसान तो मानें । मानवता के नाते मानवता निभाएं । पति गुस्‍से में है तो समझ लीजिए आपको अपने कान व मुंह बन्‍द रखना है, वरना झगडा बढने की सम्‍भावना है । पति के मित्रों के साथ ज्‍यादा घुलमिलकर बातें न करें कि अपनी सीमाएं भूलने लगें । कभी भी अपने हुनर,हुस्‍न और शौहरत का रोब न जमाएं । हां, अपनी हॉबी पर राय अवश्‍य लें । अपनी भावनाएं समय समय पर पति को बताती रहें । वही मांग करें जो पति की आय व बजट के मुताबिक हो । केवल देखा देखी में खरीददारी न करें । पति की फ्‍जिुलखर्ची को रोंकें और अपनी भी । ये कुछ सुझाव हैं जिन्‍हें अपनाकर एक पत्‍नी अपने पति का दिल जीत सकती है और

हां, मेरे विचार मार्डन लडकियों को पुराने लगें तो भी ऊपर लिखे विचारों को ध्‍यान में रखकर अपने विचार प्रकट करें । हर मार्डन लडकी कहती है सारे नियम पत्‍नी के लिए पति के लिए नहीं लेकिन मैं बताना चाहता हूं कि पति चाहकर भी पहल नहीं करता । शायद ईश्‍वर या समाज ने कुछ ऐसे नियम बना दिए हैं । यहां अंहकार की लडाई नहीं होनी चाहिए बल्कि जो पहल करता है वही जीतता या हारता है ।

1 comment:

  1. हा..हा...हा...हा....
    किसी पिक्चर की स्क्रिप्ट लगती है.... अच्छी लिखी है ! मगर फिल्माओगे कैसे ? भैया ऐसी एक्टिंग कोई कर ही नहीं पाएगी !

    ऐसी कहाँ से लाओगे ?? शुभकामनायें !

    ReplyDelete