जीवन में भी अजीब विडम्बनाएं हैं । थोडी थोडी देर बाद विचार बदलते रहते हैं, धारणाएं बदलती रहती हैं । कभी हम खुश हो जाते हैं और कभी उदास । जब खुश होते हैं तो जीवन को अच्छा मानते हैं और जब दुखी होते हैं तो हर चीज से नफरत करते हैं । देखनेवाली बात यह है कि यह सब हमारे भीतर से घटता है ।
हम जीवन की इस अजीब विडम्बना में खो जाते हैं । कभी परेशान होते हैं तो कभी खुश । कभी कभी जीवन में सब कुछ अच्छा लगता है और कभी कभी सब कुछ बेकार । ****
जीवन के अनुभवों में एक चीज बहुत ही महत्वपूर्ण देखी है और वह है विचारों का चलना । विचार इस तीव्र गकति से चलते रहते हैं कि उन विचारों को ध्यानपूर्वक देखने पर सही स्थिति का पता नहीं चलता । ज्यादातर विचार घिनौने,अव्यवहारिक,दुष्ट और भय से पीडित हैं । बहुत से ऐसे दुष्ट विचार हैं जो हम दूसरों के सामने पेश नहीं करते लेकिन अन्दर समाए रहते हैं । ऐसा भी नहीं है कि अन्दर सरल, सुन्दर व व्यावहारिक विचार न हों, हैं, रचनात्मक विचार भी होते हैं, लेकिन वे भीतर ही रहते हैं । कुछ विचार ऐसे भी हैं जो समय स्थिति के अनुसार अपना रुख बदलते रहते हैं । इंतजार करते हैं सही समय का । और इस सही समय की इंतजार में विचार और भी तीव्र गति से चलते हैं । किसी बात के लिए गुस्सा आ रहा हो तो अन्दर कई प्रकार के विचार उठेंगे । इससे पहले कि हम अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करें, यह जानना चाहेंगे कि गुस्सा क्यों आया ? साफ जाहिर हैै कि जरुर ऐसी कोई बात कह दी गई जिससे सुनने के लिए हम बिल्कुल तैयार नहीं थे ।जरुर कोई ऐसा कृत्य किया होगा जिसे सुनकर अथवा देखकर अन्दर अपेक्षाओं का महल कटूट रहा साबित हो रहा हो । अगर आप मुझे कहते हो – नहीं, मैं तुम्हें आज नहीं मिल सकूंगा । मुझे कहीं और जाना है । ऐसी स्थिति में मैंने सोचा होगा कि तुम मेरे कहने पर मेरे साथ जरुर चलोगे, मेरा कहा मानोगे और वास्तव में आपने चलने से इंकार कर दिया तो मेरे अन्दर एक प्रतिक्रिया होगी । मैं मन ममोसकर रख जाऊंगा । लेकिन ध्यान से देखें तो पता चलता है कि मेरे अन्दर उस समय आप के प्रति वह सरल और मधुर भावना नहीं रह जायेगी जो घटना से पूर्व थी ।
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