Friday, August 27, 2010
जीवन में सत्य क्या है ? जीवन में जिस प्रकार विषमताएं बढती जा रही हैं, उन्हें देखकर तो ऐसा लगता है कि जितनी बडी पोस्ट पर पहुंच जाएं, चाहे कितना रुपया कमा लें, वह सब व्यर्थ ही जाएगा, यदि जीवन के यर्थार्थ को सही मायने में न पहचाना हो । ऐसे कई लोगों को देखा गया है कि जो ऊंचे ऊंचे पदों पर तो पहुंच गएक हैं लेकिन वे बेहद परेशान हैं । उनका पैसा भी गलत जगह खर्च होता है । विडम्बना तो यह है कि बहुत से शिक्षित व्यक्ति भी दिन पर दिन तनाव में घिरते जा रहे हैं । इसलिए इस बारे में एक विचार उत्पन्न होता है कि जीवन को सही मायने में जीना है तो अपनी शक्तियों को सबसे पहले पहचानना होगा । यूं ही संसार के लोगों की देखा देखी भागने की आवश्यकता नहीं है । जीवन में संतोष हो और पेट भरने के लिए सादा भोजन यही काफी है । बाहरी दौड में चैन नहीं मिलता ।
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