जिस प्रकार व्यक्ति तनाव में आकर पीडित होता है और अपने को अकेला समझता है, उसे वह सब कुछ भी याद नहीं आता है जिससे कि उसका तनाव मिट जाए और वह नार्मल हो जाए । तनाव का एक कारण व्यक्ति स्वयं न होकर कोई दूसरा होता है । जब दूसरा हमारी उम्मीदों से बहुत दूर हो जाता है तो उसके प्रति एक घृणा उत्पन्न होती है, जो धीरे धीरे तनाव का रुप धारण करने लगती है । वह तनाव बाद में अपने आप समझ के गहरा होने के साथ साथ कम होने लगता है । तनाव में किस प्रकार की बैचेनी होती है, नींद न आना, भूख न लगना, बात करने को जी न चाहना, भयभीत होने लगना, अपने बीच दूसरों के प्रति नफरत आना और जीवन के प्रति एक नेगेटिव सोच
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