Monday, August 30, 2010
देखा गया है कि कुछ लडकियों में गहरा अंह भाव होता है । वे अपने को ज्यादा ही समझदार और सुलझी समझती हैं । सुख के काल में वह बडी बडी बातें करती हैं और बडे बडे वायदे करती हैं किन्तु यह आशापूर्ण स्थिति तभी तक रहती है जब तक उसकी आशाओं के अनुरुप कार्य हो रहा हो । जैसे ही उनकी आशाओं के खिलाफ कार्य आरम्भ हुआ, वे तडप उठती हैं और वह आदर्श का जामा उतार फेंकती हैं । अपनी परम्पराओं को भूलकर लडाई झगडे पर उतर आती हैं । क्लेश और तबाही का वातावरण तैयार कर लेती हैं । अपने को बर्बाद तो करती ही हैं, दूसरों को भी बर्बाद कर देती हैं । यह सच है कि इस प्रकार की लडकियों की गिनती बहुत कम है । मजेदार बात तो यह है कि ऐसी लडकियां दोहरे मापदण्ड में जीती हैं । एक तरफ तो वे चाहती है कि अपनी बात मनवाकर ही सिदध किया जाए कि मेरा सोचना और करना ठीक है और दूसरों का सोचा या किया गया कार्य गलत है । दूसरी ओर यही लडकियां छोटी सी मुश्किल आने पर समझौतावादी नीति का पालन भी करती हैं । दूसरों के सामने एक आदर्श नारी का चरित्र भी प्रस्तुत करती हैं । विवाहित महिलाएं तो इस मामले में काफी माहिर होती हैं । दोहरे मापदण्ड में जीने वाली ऐसी महिलाएं उस स्थिति तक तो समझौता कर लेती हैं जहां तक उनकी इज्जत पर आंच न आए । यानि वे ऐसा प्रदर्शन करेंगी कि वह स्त्री स्वयं बहुत ही बुदिधमान है । लेकिन धीरे धीरे भण्डा फूटता है तो वह सच के थोडा और करीब पहुंचती हैं । ऐसी महिलाओं में एक बात है वे अपनी बात को मजबूत बनाने के लिए अपनी मित्र को बात बताती हैं और तथ्यों को तोड मरोडकर । ऐसे में मित्र का समर्थन मिलता है तो वह उसका सम्मान करती है और विरोध पर मित्रता खत्म करने की धमकी । ऐसी महिलाएं शब्दों की धनी होती हैं । तर्क पेशकर दूसरे को परेशान कर देती हैं । ऐसी महिलाओं की यादाश्त भी काफी तेज होती है । ****
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